न्यूज़ीलैंड में, घरेलू हिंसा एक अपराध है। पुलिस इसे बहुत गंभीरता से लेती है।
किसी भी व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति को शारीरिक, यौनिक (सैक्सुअल) या मनोवैज्ञानिक (साइकलोजिकल) रूप से पीड़ित करना कानून के विरुद्ध है।
घरेलू हिंसा के उदाहरणों में परिवार के सदस्य को घूंसा या लात मारना; किसी को आहत करने के इरादे से जायदाद को नुकसान पहुँचाना; लगातार अपमानित करने के माध्यम से किसी के जीवन पर नियंत्रण करना; धमकाना या सताना, यौनिक दुर्व्यवहार; किसी पर अधिकार या शक्ति दिखाने के लिए उनके पैसे, समय, कार या मित्रों से सम्बन्ध पर नियंत्रण रखना।
पुलिस के पास दर्ज कराए जाने वाले घरेलू हिंसा के केसों में सबसे आम केसों में महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध की गई हिंसा शामिल है। पुलिस के पास रिपोर्ट करने वाले पीड़ितों में 85 प्रतिशत महिलाएं हैं।
घरेलू हिंसा को देखने या सुनने से बच्चों को होने वाली हानि की गंभीरता को पुलिस मान्यता देती है। पुलिस बच्चों को हानि से सुरक्षित रखने की भी हर संभव कोशिश करेगी।
यदि आप या परिवार के किसी सदस्य को घरेलू हिंसा से तुरन्त किसी खतरे की संभावना है तो पुलिस को 111 नम्बर पर फोन करें।
यदि आपके घर में घरेलू हिंसा हो रही है, तो आप जिस पर विश्वास करते हैं उनसे अवश्य इस बारे में बात करें। मित्र, परिवार के सदस्य या नीचे लिखे समूहों में से किसी भी समूह को फोन करें। यदि आप यह नहीं जानते कि किस से बात की जाए तो पुलिस को फोन करें।
घरेलू हिंसा से पीड़ित लोग प्रोटैक्शन आर्डर (संरक्षण आदेश) के लिए आवेदन कर सकते हैं। आप वकील या नीचे दिए गए सहायता समूहों में से किसी से सलाह लें।
प्रोटैक्शन आर्डरों को फैमिली कोर्ट द्वारा जारी किया जाता है तथा इसके लिए आवेदन करने वाले व्यक्ति और उनके बच्चों के लिए घरेलू हिंसा के विरुद्ध कानूनी संरक्षण प्रदान करता है।
संरक्षण आदेश में पीड़ित करने वाले व्यक्ति का नाम लिखा जाता है और स्पष्ट रूप से व्याख्या की जाती है कि वह व्यक्ति क्या कर सकता है और क्या नहीं कर सकता। उदाहरण के तौर पर, संरक्षण आदेश में यह लिखा जा सकता है कि उस व्यक्ति द्वारा नुकसान करने या जायदाद को नुकसान करने की धमकी नहीं दी जा सकती।
सामान्य परिस्थितियों में, आपके आवेदन किए जाने वाले दिन या कुछ दिनों के भीतर ही अस्थायी संरक्षण आदेश प्रदान किया जा सकता है।
संरक्षण आदेश आपके घर और संपत्ति की सुरक्षा में भी सहायता कर सकता है।
यदि व्यक्ति संरक्षण आदेश का पालन नहीं करता तो उसे पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जा सकता है। (ऐसी स्थिति में) उस व्यक्ति को डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में जाना पड़ेगा तथा उसे जुर्माना (पैसा) भरने के लिए आदेश दिया जा सकता है, या जेल जाना पड़ सकता है।